ब्रह्मचर्य का क्या महत्व है?
आध्यात्मिक पथ पर ब्रह्मचर्य प्रगति के लिए एक महान और सबसे शुद्ध साधन है । अब्रह्मचर्य की स्थिति अज्ञानत के कारण बनी हुई है। ज्ञानी के दृष्टिकोण से इसे समझने के बाद अब्रह्मचर्य की स्थिति रुक जाती है | इसके अलावा व्यवहारिक दृष्टि से भी मन, बुद्धि व वाणी को सहज रखने के लिए, ब्रह्मचर्य का जीवन में होना ज़रूरी है । आयुर्वेद का भी यही मत है | अगर कोई ब्रह्मचर्य का सिर्फ छह महीने के लिए भी पालन करता है, उसे भी अपनी मनोबल , वचन बल और देहबल में अद्भुत परिवर्तन अनुभव होगा !
ब्रह्मचर्य से लाभ
- 1/5. सुंदरता में वृद्धि मान्यता है कि ब्रह्मचर्य के पालन से स्त्री हों यो पुरुष उनके सौंदर्य में वृद्धि होती है। …
- 2/5. मिलती है लंबी उम्र ब्रह्मचर्य के पालन से शारीरिक बल बढ़ता है, स्किन में ग्लो आता है। …
- 3/5. प्रफेशन में लाभ …
- 4/5. मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद …
- ऐसी और तस्वीरें देखेंडाउनलोड ऐप
- 5/5. सोशल लाइफ में फायदा
शारिरिक और मानसिक लाभ :
- ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला व्यक्ति मन, बुद्धि और वाणी की शक्ति का उचित तरीके से उपयोग कर सकता है | अर्थात वह व्यक्ति किसी भी कार्य को पूरा कर सकता है |
- न जाने जीवन में कितनी भी बाधाएं आएं , पर वह उस परिस्थिति में भी स्थिर रहकर उसका सामना कर सकता है |
- एकाग्रता और ग्रहण करने की क्षमता बढ़ती है |
- मनोबल बढ़ता है | अर्थात जो उसने मन से निश्चय किया , वह निश्चयपूर्वक कर लेता है |
- उनका मन उनके नियंत्रण में रहता है |
- अगर ब्रह्मचर्य का पालन कुछ वर्ष तक नियमितापूर्वक किया जाये , तो वीर्य शक्ति उर्ध्वगमन होता है | उसके बाद शास्त्रों का संपूर्ण अध्यात्मिक सार धारण हो जाता है | अन्यथा इस सार को याद रखना आसान नहीं है | जैसे ही आप कुछ पढ़ेंगे भूलते जाएंगे।
- ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति अपने सभी व्रत और जिम्मेदारियों का पालन करने में सक्षम होता है | सभी दिशाओं से प्रगति के रास्ते खुल जाते है।
- रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है जिसके वजह से देह निरोगी रहता है | कोई कठिनाई नहीं आती है और कोई भी दोष उत्पन्न नहीं होते है |
- ब्रह्मचर्य के पालन से शारीरिक क्षमता , मानसिक बल , बौद्धिक क्षमता और दृढ़ता बढ़ती है |
ब्रह्मचर्य के अध्यात्मिक लाभ:
- जब विषय के सम्बन्ध नहीं होंगे तब टकराव भी नहीं होगा | विषय रुकेगा तो पूर्व के टकराव भी समाप्त हो जायेंगे |
- अगर विवाहित दंपत्ति ब्रह्मचर्य का व्रत लेते है , तो वो पूर्णरूप से आत्मा के सुख को समझ सकते है | नहीं तो उन्हें समझ नहीं आएगा आएगा कि यह आनंद विषय से है या शुद्धआत्मा से |
- क्रोध, मान, छल- कपट ,लालच धीरे धीरे कम होने लगते है |
- सिर्फ विषय के नापसंदगी से वे देवगति की ओर बढ़ते है |
- ब्रह्मचर्य के पालन से पुण्य कर्म बंधते है |
- चित्त एकदम शुद्ध हो जाता है इसलिए उनका आंतरिक इच्छाए संसारिक चीजों की तरफ नहीं जाती है |
- ब्रह्मचर्य के पालन से आत्मवीर्य बढ़ता है। आत्मा की शक्ति से ज्यादा कुछ भी मूल्यवान नहीं है।
- जो ब्रह्मचर्य का पालन करते है ,उन्हें असीम आनंद की अनुभूति होती है।
- केवल ज्ञान की प्राप्ति ब्रह्मचर्य का पालन करके प्राप्त किया जा सकता है।