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ब्रह्मचर्य का क्या महत्व है?

Rojgar Market, August 1, 2023

आध्यात्मिक पथ पर ब्रह्मचर्य प्रगति के लिए एक महान और सबसे शुद्ध साधन है । अब्रह्मचर्य की स्थिति अज्ञानत के कारण बनी हुई है। ज्ञानी के दृष्टिकोण से इसे समझने के बाद अब्रह्मचर्य की स्थिति रुक जाती है | इसके अलावा व्यवहारिक दृष्टि से भी मन, बुद्धि व वाणी को सहज रखने के लिए, ब्रह्मचर्य का जीवन में होना ज़रूरी है । आयुर्वेद का भी यही मत है | अगर कोई ब्रह्मचर्य का सिर्फ छह महीने के लिए भी पालन करता है, उसे भी अपनी मनोबल , वचन बल और देहबल में अद्भुत परिवर्तन अनुभव होगा !

एक महीने का ब्रह्मचर्य : फौलादी शरीर, तेज दिमाग के साथ 7 अन्य फायदे जाने |  1 month ka brahmacharya

ब्रह्मचर्य से लाभ

  • 1/5. सुंदरता में वृद्धि मान्यता है कि ब्रह्मचर्य के पालन से स्त्री हों यो पुरुष उनके सौंदर्य में वृद्धि होती है। …
  • 2/5. मिलती है लंबी उम्र ब्रह्मचर्य के पालन से शारीरिक बल बढ़ता है, स्किन में ग्लो आता है। …
  • 3/5. प्रफेशन में लाभ …
  • 4/5. मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद …
  • ऐसी और तस्वीरें देखेंडाउनलोड ऐप
  • 5/5. सोशल लाइफ में फायदा

शारिरिक और मानसिक लाभ : 

  • ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला व्यक्ति मन, बुद्धि और वाणी की शक्ति का उचित तरीके से उपयोग कर सकता है | अर्थात वह व्यक्ति किसी भी कार्य को पूरा कर सकता है | 
  • न जाने जीवन में कितनी भी बाधाएं आएं , पर वह उस परिस्थिति में भी स्थिर रहकर उसका सामना कर सकता है |
  • एकाग्रता और ग्रहण करने की क्षमता बढ़ती है |
  • मनोबल बढ़ता है | अर्थात जो उसने मन से निश्चय किया , वह निश्चयपूर्वक कर लेता है |
  • उनका मन उनके नियंत्रण में रहता है |  
  • अगर ब्रह्मचर्य का पालन कुछ वर्ष तक नियमितापूर्वक किया जाये , तो वीर्य शक्ति उर्ध्वगमन होता है | उसके बाद शास्त्रों का संपूर्ण अध्यात्मिक सार धारण हो जाता है | अन्यथा इस सार को याद रखना आसान नहीं है | जैसे ही आप कुछ पढ़ेंगे भूलते जाएंगे।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति अपने सभी व्रत और जिम्मेदारियों का पालन करने में सक्षम होता है | सभी दिशाओं से प्रगति के रास्ते खुल जाते है।
  • रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है जिसके वजह से देह निरोगी रहता है | कोई कठिनाई नहीं आती है और कोई भी दोष उत्पन्न नहीं होते है |
  • ब्रह्मचर्य के पालन से शारीरिक क्षमता , मानसिक बल , बौद्धिक क्षमता और दृढ़ता बढ़ती है |

ब्रह्मचर्य के अध्यात्मिक लाभ: 

  • जब विषय के सम्बन्ध नहीं होंगे तब टकराव भी नहीं होगा | विषय रुकेगा तो पूर्व के टकराव भी समाप्त हो जायेंगे |
  • अगर विवाहित दंपत्ति ब्रह्मचर्य का व्रत लेते है , तो वो पूर्णरूप से आत्मा के सुख को समझ सकते है | नहीं तो उन्हें समझ नहीं आएगा आएगा कि यह आनंद विषय से है या शुद्धआत्मा से |
  • क्रोध, मान, छल- कपट ,लालच धीरे धीरे कम होने लगते है |
  • सिर्फ विषय के नापसंदगी से वे देवगति की ओर बढ़ते है |
  • ब्रह्मचर्य के पालन से पुण्य कर्म बंधते है |
  • चित्त एकदम शुद्ध हो जाता है इसलिए उनका आंतरिक इच्छाए संसारिक चीजों की तरफ नहीं जाती है |
  • ब्रह्मचर्य के पालन से आत्मवीर्य बढ़ता है। आत्मा की शक्ति से ज्यादा कुछ भी मूल्यवान नहीं है।
  • जो ब्रह्मचर्य का पालन करते है ,उन्हें असीम आनंद की अनुभूति होती है।
  • केवल ज्ञान की प्राप्ति ब्रह्मचर्य का पालन करके प्राप्त किया जा सकता है। 

 

ब्रह्मचर्य के लाभ – परम पूज्य दादाश्री द्वारा प्रकट किए गए अद्भुत तथ्य (विचार):

दादाश्री : ऐसा है न, ब्रह्मचर्यवाला कभी भी गिरता नहीं। उसे कैसी भी मुश्किल आए तो भी वह गिरता नहीं। वह सेफसाइड (सलामती) कहलाती है।

ब्रह्मचर्य तो शरीर का राजा है। जिसे ब्रह्मचर्य हो, उसका दिमाग़ तो कितना सुंदर होता है! ब्रह्मचर्य तो सारे पुद्गल का सार है। 

प्रश्नकर्ता : यह सार असार नहीं होता न? 

दादाश्री : नहीं, पर वह सार उड़ जाता है न, युझलेस (बेकार) हो जाता है। वह सार हो, उसकी तो बात ही अलग होती है न! महावीर भगवान को बयालीस साल तक ब्रह्मचर्य सार था। हम जो आहार लेते हैं, उन सबके सार का सार वीर्य है, वह एक्स्ट्रेक्ट (सार) है। अब वह एक्स्ट्रेक्ट यदि ठीक से सँभल जाए तो आत्मा जल्दी प्राप्त हो जाता है और सांसारिक दु:ख नहीं आते, शारीरिक दु:ख नहीं आते, अन्य कोई दु:ख नहीं आते। 

प्रश्नकर्ता : ब्रह्मचर्य तो अनात्म भाग में आता है न? 

दादाश्री : हाँ, मगर वह पुद्गलसार है। 

प्रश्नकर्ता : पुद्गलसार है वह समयसार को कैसे मदद करता है? 

दादाश्री : वह पुद्गलसार हो तभी समयसार होता है। यह जो मैंने ज्ञान दिया है, वह तो अक्रम है इसलिए चल जाता है। दूसरी जगह तो नहीं चलता। क्रमिक में तो पुद्गलसार चाहिए ही, वर्ना कुछ भी याद नहीं रहता। वाणी बोलने के भी लाले पड़ जाएँ।

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